जयपुर में एक परिवार तब हैरान रह गया, जब उसे पता चला कि उसके बेटे की गले की भोजन नली पिन से भी पतली है। सिर्फ 13 महीने का ये बच्चा कुछ खा नहीं पा रहा था। दूध पीने में भी दिक्कत हो रही थी। पहले तो परिवार इसे अनदेखा करता रहा। लेकिन परेशान होकर डॉक्टर के पास पहुंचा तो पूरे मामले का पता चला।
Jaipurt : Rajasthan : गले की नली इतनी पतली, खाना नहीं खाता था बच्चा
दरअसल, 13 महीने के नैतिक की भोजन नली सिकुड़ी हुई थी। इसके कारण उसे खाने में दिक्कत हो रही थी। जयपुर के जेके लॉन हॉस्पिटल में पिछले दिनों नैतिक की भोजन नली (ईसोफेगस) की सिकुड़न को बिना ऑपरेशन के ठीक किया गया। कुछ दिन ऑबजर्वेशन में रखने के बाद शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। सामान्य वर्ग के इस परिवार का इलाज चिरंजीवी योजना के तहत फ्री में किया गया।
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डॉक्टर ने बताया कि अमूमन ऐसे मामले में ठीक करने के लिए 1 सेमी. तक का चीरा लगाया जाता है, लेकिन यह हमने एंडोस्कोपी के जरिए ही ठीक कर दिया। 5 दिन भर्ती रखने के बाद बच्चे को शुक्रवार को हॉस्पिटल से छुट्टी भी दे दी है।
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जेके लोन हॉस्पिटल के सुप्रीडेंट और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.के. गुप्ता ने बताया कि भरतपुर के वैर निवासी सुनील का बेटा नैतिक को जन्म के 6-7 माह बाद से खाना खाने में समस्या आ रही थी। इसको लेकर पहले तो माता-पिता को ये लगा कि बच्चा छोटा है। इसलिए शायद देरी से भोजन करना शुरू करेगा तो उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जब बच्चा 12 महीने का हो गया। उसके बाद भी खाना नहीं खाना शुरू किया तो उन्हें डर लगा।
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खाने की चीजें शुरू की तो पता चला
बच्चे के पिता ने बताया कि करीब एक माह पहले जब बच्चे को खाने के लिए दलिया, बिस्किट आदि दिए गए तो वह खा नहीं सका। थोड़ा बहुत कुछ खाया तो उल्टी कर देता। इसके बाद दूध भी काफी देर बाद पीता। इसके साथ ही बार-बार खांसी आने, कफ बनने की भी शिकायत होने लगी। इसके बाद भरतपुर में डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने जयपुर जाने की सलाह दी।
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एसएमएस अस्पताल बच्चे की आहार नली की साइज को देखकर एंडोस्कोपी करने से मना कर दिया।
पिन के साइज की थी आहार नली
एसएमएस हॉस्पिटल पहुंचने पर जब डॉक्टरों को दिखाया था, उन्होंने बच्चे की आहार नली की साइज को देखकर एंडोस्कोपी करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि इतने छोटी नली के लिए उनके यहां एंडोस्कोपी में काम आने वाली वायर नहीं है। इसके बाद परिजन बच्चे को लेकर जेकेलोन पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद हमने जब बच्चे की शुरूआती जांच की तो पता चला बच्चे की आहार नली 1एमएम से भी छोटी मिली, जो किसी पिन के साइज की थी।
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जेकेलोन अस्पताल में हुआ इलाज।
ऑपरेशन के बजाए एंडोस्कोपी से ठीक करने का फैसला
डॉ. आर.के. गुप्ता ने बताया कि पहले तो हम भी सामान्य ऑपरेशन करने पर विचार कर रहे थे, लेकिन हमने बाद में एंडोस्कोपी के जरिए इस नली की सुकड़न को खोलने का फैसला किया। इसमें हमने एंडोस्कोपी की सहायता से एक वायर डालकर इस नली के छेद को चौड़ा किया गया। डॉक्टर ने बताया कि अभी तो बच्चे की आहार नली करीब 6MM तक चौड़ी हो गई है।
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पैदा होने के चौथे दिन करना पड़ा था ऑपरेशन
डॉ. आर.के. गुप्ता ने बताया नैतिक के जन्म सितंबर 2021 में हुआ था। भोजन नली और श्वसन नली दोनों आपस में जुड़ी थी। जब ये पैदा हुआ था, तब इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर्स को ऑपरेशन करना पड़ा था। जिस समय ये ऑपरेशन किया गया उस समय ये 4-5 दिन का ही था। लेकिन तब बच्चे के भोजन नली के सिकुड़ने का पता नहीं चला।
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नैतिक के पिता सुनील सामान्य किसान परिवार से हैं। जो भरतपुर के वैर में रहते हैं। बेटे की बीमारी का पता चलने पर इलाज के लिए जयपुर आए थे। लाखों रुपए खर्च कर होने वाला ऑपरेशन जयपुर के जेकेलोन अस्पताल में फ्री में किया गया। जो बेटे के ठीक होने पर शुक्रवार को वापस लौट गए।
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